Wednesday, April 27, 2011

एक शहर....

एक शहर ऐसा भी....
जहाँ घडी की सुई से तेज,
ईन्सान की टांगे चलती है....

एक शहर ऐसा भी....
जहाँ लकडी और कोयले की जगह,
दहेज के कारण दुल्हने जलती है....

एक शहर ऐसा भी....
जहाँ चंद रुपयों के लिये,
मासुम कलीयों की सेज सजती है.....

एक शहर ऐसा भी....
जहाँ सुहाग रात पहले बाद में,
विवाह की शहनाई बजती है.....

एक शहर ऐसा भी....
जहाँ रास्ते कम होते है,
गाडीयां ज्यादा दिखाई देती है.....

एक शहर ऐसा भी....
जहाँ के स्कुलों में"अ‍ॅटीट्युड"ज्यादा,
पढाई कम सिखाई जाती है.....

एक शहर ऐसा भी....
जहाँ का समंदर बडा गहरा है,
जहाँ के लोगों के दिल बडे साफ है.....

एक शहर ऐसा भी....
जहाँ की मिठ्ठी की भिनीसी खुशबु,
आते ही,दिल कर देता सबको माफ है.....

एक शहर ऐसा भी....
जहाँ की रंगीन होती सुबह और शाम है,
ऐसा वह प्यारा शहर"मुंबई"उसका नाम है.....

एक शहर ऐसा ही......
जिस को कोटी कोटी मेरा प्रणाम है,
जिस के रखवालों को तहे दिल से मेरा"सलाम"है.....








नंदू

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